सोमवार, 18 मई 2020

कब्बू का फिर पेट फूला



कब्बू  जैसे ही  अपने बच्चों के पास आयी , दोनों बच्चों ने खुश होकर उसका स्वागत किया लेकिन ये क्या कब्बू   उन्हें प्यार करने के बजाय  मारने लगी।  वे बेचारे सहमे से दूर बैठ गए।  हमे ये देखकर बहुत ख़राब लगा  कि  कल ही १२ मई २०२० को  मेरे नन्हे -मुन्ने अकुई -मकुई  तीन महीने के पूरे  हुए है और  ये देवी जी  पेट फुला कर पल भर में ही अपने बच्चो  के लिए गैर हो गयी।   वैसे इस  बात का डर  हमें पिछले कुछ दिनों से सता रहा था  की वो फिर से पेट फुला कर न घूमने लगे और हुआ भी वही।    वैसे भी कुछ दिनों से हम उसके व्यवहार में बदलाव अनुभव कर रहे थे वो जो अपने बच्चों को दो घंटे के लिए भी अकेले नहीं छोड़ती थी अब वो पूरी -पूरी रात घर नहीं आती और अगर आती है तो  खाना खा  कर सिर्फ सोती रहती है। खाने के मामले में भी हमने गौर किया कि जहाँ पहले कब्बी अपने बच्चों के खाने के बाद खाती थी अब वो अपने बच्चों को हटा कर  पहले खुद खाती है।    पहले तो हमे उसके व्यवहार से गुस्सा तो बहुत आया फिर सोचा की  कब्बू के  पेट में जो जीव पनप  रहे है , उन्हें भी भोजन की आवश्यकता है एवं उन्हें अकुई - मकुई की उछल कूद से  नुकसान पहुंच सकता है साथ ही कब्बू को भी चोट लगेगी ।    इस बार  फिर से बच्चों के आने की आहट हमें हर्षित नहीं कर रही थी अपितु चिंता ग्रस्त कर रही थी।  अभी अकुई - मकुई पॉटी  करने की जगह भी ठीक से पहचान नहीं पा रहे थे य यू कहे की बचपना के चलते भूल जा रहे थे जिसका परिणाम कभी -कभी बिस्तर पर कर देते।  इधर वे बड़े हो रहे थे तो अब कमरे में बंध कर रहना भी नहीं चाहते थे लाबी में जब घूमते तो जहाँ -तहाँ  सूसू- पॉटी कर देते।  उनकी इस करतूत पर उन्हें हमसे डांट तो पड़ती ही लेकिन साफ -सफाई भी हमी को ही करनी पड़ती। नौकर से करवाते नहीं क्योंकि वे लोग तुरंत सलाह देने लगते कि इन्हे बाहर छोड़ दीजिये ,छत पर छोड़ दीजिये आदि जो हमें मंजूर नहीं।  वैसे भी उन दोनों की मासूम आँखों को देखकर उन्हें घर से निकालने का मन ही नहीं करता।  अतः अब हमने निर्णय लिया की उन्हें छत पर 

सुबह -शाम ले जायेगे ताकि वे  छत पर जाकर अपनी दैनिक क्रिया से निवृत हो सके और बाहर की दुनियां से परिचित भी हो सके।  जब पहले दिन उन्हें ले कर गए तो देखा की कब्बू महारानी भी अपने बच्चों के पीछे -पीछे आ गयी।  अब वो बैठकर अपने बच्चों पर नजर रखे हुए थी।  जहाँ भी उसे डर होता की उसके बच्चें गिर सकते है वो तुरंत उनके पास आ जाती और उनके मुंह से मुंह लगा कर प्यार करती। उसके ममत्व को देखकर हम अभिभूत थे  और कुत्ते और बिल्ली के प्यार के अंतर को भी समझ रहे थे।  कहाँ भोली  के बच्चे उसके सामने से ही दूसरे लोग लेकर चले गए और उसे कोई फर्क नहीं पड़ा और यहाँ कब्बू अपने बच्चों के प्रति कितनी समर्पित है। 





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