बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

KULFI'S FIRST JOURNEY

कुल्फी जब दो महीने की थी तब उसने अपनी  पहली
                    यात्रा तारापीठ   की की.
गर्मियों में हमारे पिताजी ,भाई व् भाभी आये हुए थे उन लोगो कि इच्छा तारापीठ जाने कि थी.हम लोगो को जब उन्होंने अपनी इच्छा बताई तो हम सभी तुरंत तैयार हो गए क्योकि कोलकाता में  कई वर्षो से रहने के बाद भी   हमने  माँ तारा के दर्शन नहीं  किये  थे .अब समस्या थी , दो महीने की नन्ही सी कुल्फी और हमारा तारापीठ जाने का प्रोग्राम .हम सभी बहुत चिंतित थे .कुल्फी इतनी छोटी थी कि उसे किसी के भरोसे पर छोड़ कर जाना संभव नहीं  था .इसलिए हम सभी ने ये निर्णय लिया की कुल्फी हम लोगो के साथ जाएगी .दुनिया दारी से अंजान कुल्फी हम लोगो के साथ  रवाना हो ली  .हम लोग भी खुश थे की अब कुल्फी की चिंता ख़त्म हो गयी .जैसे ट्रेन चली कुल्फी  परेशान होने लगी .चलती हुयी ट्रेन में उसे आराम नहीं मिल रहा था .हम उसे गोद में बिठाते तो वो हमारी पीठ के पीछे चली जाती .हम उसे कही दब न जाये इस डर से  उसे फिर गोद में बिठाते तो वो इधर उधर भागने लगती .जमीन पर छोड़ नहीं सकते थे क्योकि किसी के पैर के नीचे आने का डर था अंत में हमने अपने बैग  से कुछ  कपड़ो को निकाल कर उसके लिए जगह बनाई अब वह कपड़ो के बीच में अपने को सुरक्षित समझ कर आराम से सो गई .बीरभूम जिले के तारापुर में पहुँच कर सबसे पहले होटल की खोज की .होटल मिलने के बाद पता किया की कितने बजे दर्शन के लिए जाना है .इधर कुल्फी रानी आराम से बिस्तर पर फ़ैल कर सो गयी उस सफ़ेद नरम नरम भालू को सोता देख कर हम लोगो को बहुत ख़ुशी हुयी  . लेकिन जैसे ही सुना कि सबेरे चार बजे हमें दर्शन के लिए निकलना है तो कुल्फी की चिंता ने फिर से दस्तक दे दी .अब उसे कहा छोड़ेगे .सुबह हम लोग नहा धो कर निकले तो देखा देवी जी एक छोटी सी टेबल के नीचे   चुपचाप लेटी हुयी है . हम वही उसके लिए दूध ,व् BISCUIT रख कर  चले गए .जाते समय RESEPTION पर AC   ऑन  रखने के लिए कहा इसके बाद भी दर्शन करने में मन कम लग रहा था बार बार उसका ख्याल परेशां किये हुए था .दर्शन के बाद हम लोगो ने चाय भी नहीं पी  सीधे होटल आये और रूम में जाकर देखा कि कुल्फी कैसी है . उसने हम लोगो को देख कर नजर अंदाज कर दिया .मन ही मन हमें बहुत दुःख हुआ कि इसके कारण हम दर्शन भी ठीक से नहीं  कर पाए  और ये है कि हमें देखने कि जरुरत भी नहीं महसूस कर रही है .जब उसे हमने कुफ्फु कह कर दो तीन बार बुलाया तब देवीजी लम्बी सी अंगड़ाई लेते हुए उठ खडी हुयी .उसे लेकर फिर हम लोग शान्तिनिकेतन के लिए गए. वो जहा भी जाती सबके आकर्षण का केंद्र होती .हर कोई उसके पास आना चाहता ये देखकर हम लोग खुश हो जाते कि चलो कुल्फी के साथ साथ लोग हमें भी देख रहे है .

KUFFU IN CHARDHAM



हम लोग हरिद्वार में मनसा देवी के दर्शंन के लिए जब जा रहे थे तब हमारे सामने कुल्फी को छोड़ने की समस्या थी कि उसे कहा छोड़ा जाये क्योकि वह अनजान जगह में अकेले रुक नहीं सकती और गाड़ी के ड्राईवर के साथ उसकी दोस्ती भी नहीं हुयी थी जो उसे उनके पास छोड़ दिया जाता .हम सभी हर कि पौड़ी पर घुमने के  बाद मनसा देवी के लिए जब चले तो हमारे परिवार के लोगो ने कहा कि तुम मनसा देवी के दर्शन नहीं कर पाओगी क्योकि TROLLEY  पर कोई भी कुल्फी को चढ़ने कि इजाजत नहीं देंगा .हमने कहा की ठीक है हम चलते है अगर जाने को मिल जायेगा तो ठीक है नहीं तो हम नीचे ही इंतजार करेंगे .TROLLEY  की  काफी बड़ी लाइन थी और उससे ज्यादा सिक्यूरिटी सख्त थी .कुल्फी को देखते ही वहा खड़े लोगो ने कहा आप कुत्ते को लेकर दर्शन करने जाएँगी आप को कोई TROLLEY  पर बैठने नहीं देंगा .हमने उनकी बात का जवाब नहीं दिया और कुल्फी को अपने दुप्पट्टे में छुपा लिया .लाइन में खड़े लोगो ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई .सिक्यूरिटी पर तैनात सिपाहियों की नजर बचा कर हम TROLLEY  तक पहुँच ही गए .जैसे ही  TROLLEY  सामने आई हम उस पर जल्दी से बैठने के चक्कंर में उसके सामने आ गए .इस पर TROLLEY पर बिठालने वाला बोला एक तो आप कुत्ते को ऊपर लेकर जा रही है ऊपर से TROLLEY के सामने भी आ रही है . एक्सिडेंट हो जाता तो ? खैर हम अपनी सफलता पर फुले नहीं समां रहे थे .इस तरह हम पहाड़ी के ऊपर माणसा देवी के दर्शन करने के लिए हम कुल्फी के साथ पहुँच गए .वहा RESTAURANT में हमने उसे आइसक्रीम खाने को दी और जूस पिलाया .वो उस अनजान जगह पर चुपचाप बैठी हुयी सबको देख रही थी .लेकिन वहा मौजूद बच्चे बहुत खुश हो रहे थे ,वे दौड़ दौड़ कर कुल्फी के पास आकर उसे छूते  और अपने मम्मी पापा को बताते .हम लोग कुल्फी के कारन दो शिफ्ट में दर्शन करने गए समय जरुर बर्बाद हुआ लेकिन तसल्ली थी की कुल्फी हमारे साथ है और सुरक्षित है. . दर्शन के उपरांत  सबसे पहले आकर हमने उसे प्रसाद खिलाया . और उसकी चारधाम की यात्रा का श्री गणेश हो गया.

शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

JAB MEH CHHOTI THI

ये कुल्फी की एक महीने की फोटो है ,जब पहली बार वो कोलकाता के विक्टोरिया मैदान में गयी ,हम सभी उसे लेकर बहुत खुश हो रहे थे ,,वहा जितने भी बच्चे घुमने के लिए आ रहे थे,वे अपनी मम्मी और पापा के साथ कुल्फी को प्यार करने के लिए जरुर आते  पता ही नहीं चला की कब रात हो गयी .हम सभी जाने के लिए तैयार हो गए ,हमने ये देखने के लिए की कुल्फी अपना नाम पहचानना सीखी है या नहीं उसे कुल्फी कुल्फी कह कर पुकारना आरम्भ कर दिया .लेकिन हमारे आश्चर्य की सीमा नहीं रही की विक्टोरिया मैदान में घुमने वाले बहुत से आइसक्रीम बेचने वाले हमारी तरफ दौड़ कर आ गए ,बोले हा बाबु बताइए कितनी कुल्फी दे दे . इस पर मेरे बेटे शौर्यांक ने कहा हम आपको नहीं अपने पप्पी की बुला रहे है .बेचारे कुल्फी बाले मायूस हो कर बोले अब आप लोग ऐसे नाम रखेगे तो हम लोग क्या समझेंगे .

Birth Day Party on 26th March.










a beautiful album from 'GUWAHATI TRIP '

sitting on a stone of 'VASHISHTHA ASHRAM'  



   "BHUVNESHAVARY TEMPLE " OF GUWAHATI 
RIVER BRAHMPUTRA IS FLOWING BEHIND




A hauntingly beautiful waterfall,  "Nohkalikai falls"
BEHIND THE GRILL
READY TO POSE  IN THE PREMISES OF "VASHISHTHA ASHRAM"

REALLY I AM SO LUCKY TO REACH HERE . 
Vashistha Ashram, the abode of Sage Vashistha is situated at a distance of 12 km from the railway station. It was established by the great sage Vashistha himself on the picturesque Sandhyachal Hill.

The ashram's setting is very scenic; it is surrounded by greenery and three natural streams called Sandhya, Kanta and Lalita  THEY meet here.



 ON THE WAY OF CHERRAPUNJI

Hi ,I am Kulfi

Hello ,
My name is kulfi ,but everyone in my family call me KUFFU. Because I am so sweet.