शनिवार, 10 सितंबर 2022

तू कितना बुद्धिमान है..... टिक्कू 

 

Kabbu

जैसे जैसे कब्बू बिल्ली के बच्चे बड़े हो रहे थे वैसे वैसे उनकी शैतानियां भी बढ़ रही थी । उन नन्हे मुन्नों की बदमाशियां, उछल कूद जितना दिल को लुभाती थी उतनी ही सूसू पॉटी रुलाती थी। अपनी व्यथा से छुटकारा पाने के लिए अब हमने उन्हें घर के बाहर खाना देना आरंभ कर दिया।  और एक दो घंटे बाहर ही रखते ताकि वे अपना पेट खाली कर ले उसके  बाद हम उन्हें अंदर करते। लेकिन उन्हें ये देश  निकाला स्वीकार नहीं था अतः वे दरवाजे के पास खड़े होकर रोते हम तरस खा कर उन्हें अंदर करते जैसे ही अंदर आते वैसे ही वे सब इधर उधर कोने में या सोफे पर पेट खाली कर लेते। स्थिति ये की घर के हेल्पर तक पॉटी साफ नहीं करते एक हम  बेवकूफ जो भावनाओं  और उनके प्यार के वशीभूत सारे दिन सफाई अभियान में जुटे रहते । बच्चे बाहर रहने लगे तो अक्सर अपनी मां के साथ घूमने चले जाते किन्तु तिक्का ( बिल्ला) अपनी मां के साथ नहीं जाता । इसका कारण एक तो उसका बहुत शांत होना दूसरा बिल्ला होने के कारण बड़े बिल्ले उसे मारते ( जिस तरह प्रत्येक शेर का अपना क्षेत्र होता है और किसी दूसरे शेर को घुसने की अनुमति नहीं होती वैसे ही एक  बिल्ले के क्षेत्र में दूसरा बिल्ला नहीं रह सकता)
Tikku 

          एक दिन रात में उसे अन्दर करना हम भूल गए परिणाम वो अपनी मां के साथ घूमने चला गया। सवेरे हमने देखा कि टिक्कू नहीं है। अब हमको चिंता हो गई कि नन्ही सी जान कहां भटक रही होगी, पता नहीं कुछ खाया भी या भूखी है। मन में बुरे विचार आते की कही किसी दुर्घटना का शिकार न हो गई हो। अब हमने उसका नाम लेकर पुकारना आरंभ किया। 10 मिनट के अंदर ही वो म्याऊ म्याऊ करते मेरे घर के सामने की बिल्डिंग की मुंडेर पर चल रहा था। उस बिचारे को समझ में नहीं आ रहा था कि वो मेरे पास कैसे आए । रास्ता न मिलने पर वो बदहवासी में और जोर जोर से म्याऊं म्याऊं करने लगा और साथ ही मदद की उम्मीद से हमारी तरफ देखने लगा। हमने इशारा किया की सामने की बाउंड्री से एक दीवार की तरफ जहां कुछ ईंट लगी हुई थी उसने तुरंत समझदार बच्चे की तरह बात मान कर उन ईटो को पकड़ कर दीवार चढ़ कर मेरे बरामदे की रेलिंग पर आ गया। हमने उसे पाईप दिखाया कि उसे पकड़ कर मेरे पास आ जाए लेकिन उस नन्ही सी जान के लिए ये मुश्किल था। अपने अभियान में विफल होने पर वो जोर जोर से रो रहा था। हमने एक चादर  के निचले हिस्से में गांठ बांधी और लटकाया जिससे कि वो उसे पकड़ ले और हम ऊपर  अपने पास खींच ले । अब हमने अपने दुप्पटे में बाल्टी बांधी और उसे लटकाया बाल्टी देख उसने मेरी तरफ देखा हमने इशारा किया कि इसमें बैठ जाओ

                                          

उसने पहले बाल्टी के अंदर झांका फिर पांच तल्ले से नीचे की तरफ देखा। हम समझ गए की वो ये जानने की कोशिश कर रहा है कि अगर उसका संतुलन डगमगा गया तो नीचे गिरने के बाद उसकी हालत क्या होगी। 45 मिनट से ज्यादा हो गया था इस मशक्कत में, हमे लगा कि हम उसे निकालने में सफल नहीं होंगे अब हमने उसे देखकर कहा कि - " टिक्कु बाल्टी पकड़ कर आ जाओ वरना हम निकाल नहीं पाएंगे ।" 

                                        

ऊपर वाले की मर्जी कहे या टिक्कू की बुद्धिमानी उसने बाल्टी के किनारों को अपने नन्हे हाथों से जोर से पकड़ लिया 

           

और हमने बिना पल गवाएं धीरे धीरे बाल्टी अपनी ओर खींच कर तुरंत हाथ से पकड़ा ये सोचकर कि कहीं ये अपनी पकड़ ढीली न कर दे। उसे ऊपर ला कर अपने से चिपका लिया कुछ पल में  ही उसकी तेज धड़कनों ने काबू पा लिया और वो दौड़ कर जहां खाना - दूध रखते है वहां जाकर अपनी भूख शांत करने लगा। उसको देखकर हमें उतनी ही शांति मिली जितनी की अपने बच्चे को देखकर मिलती है। परंतु सबसे अधिक खुशी तो उसकी बुद्धिमानी देखकर हुई की मेरा छोटू कितना अक्लमंद है।

My lovely Tikku 

           And one day Tikku ended his life by suddenly falling down while playing on the terrace.







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