कब्बी, मां बनने का सुख
मंगलवार, 13 सितंबर 2022
शनिवार, 10 सितंबर 2022
तू कितना बुद्धिमान है..... टिक्कू
Kabbu |
Tikku |
एक दिन रात में उसे अन्दर करना हम भूल गए परिणाम वो अपनी मां के साथ घूमने चला गया। सवेरे हमने देखा कि टिक्कू नहीं है। अब हमको चिंता हो गई कि नन्ही सी जान कहां भटक रही होगी, पता नहीं कुछ खाया भी या भूखी है। मन में बुरे विचार आते की कही किसी दुर्घटना का शिकार न हो गई हो। अब हमने उसका नाम लेकर पुकारना आरंभ किया। 10 मिनट के अंदर ही वो म्याऊ म्याऊ करते मेरे घर के सामने की बिल्डिंग की मुंडेर पर चल रहा था। उस बिचारे को समझ में नहीं आ रहा था कि वो मेरे पास कैसे आए । रास्ता न मिलने पर वो बदहवासी में और जोर जोर से म्याऊं म्याऊं करने लगा और साथ ही मदद की उम्मीद से हमारी तरफ देखने लगा। हमने इशारा किया की सामने की बाउंड्री से एक दीवार की तरफ जहां कुछ ईंट लगी हुई थी उसने तुरंत समझदार बच्चे की तरह बात मान कर उन ईटो को पकड़ कर दीवार चढ़ कर मेरे बरामदे की रेलिंग पर आ गया। हमने उसे पाईप दिखाया कि उसे पकड़ कर मेरे पास आ जाए लेकिन उस नन्ही सी जान के लिए ये मुश्किल था। अपने अभियान में विफल होने पर वो जोर जोर से रो रहा था। हमने एक चादर के निचले हिस्से में गांठ बांधी और लटकाया जिससे कि वो उसे पकड़ ले और हम ऊपर अपने पास खींच ले । अब हमने अपने दुप्पटे में बाल्टी बांधी और उसे लटकाया बाल्टी देख उसने मेरी तरफ देखा हमने इशारा किया कि इसमें बैठ जाओ
उसने पहले बाल्टी के अंदर झांका फिर पांच तल्ले से नीचे की तरफ देखा। हम समझ गए की वो ये जानने की कोशिश कर रहा है कि अगर उसका संतुलन डगमगा गया तो नीचे गिरने के बाद उसकी हालत क्या होगी। 45 मिनट से ज्यादा हो गया था इस मशक्कत में, हमे लगा कि हम उसे निकालने में सफल नहीं होंगे अब हमने उसे देखकर कहा कि - " टिक्कु बाल्टी पकड़ कर आ जाओ वरना हम निकाल नहीं पाएंगे ।"
ऊपर वाले की मर्जी कहे या टिक्कू की बुद्धिमानी उसने बाल्टी के किनारों को अपने नन्हे हाथों से जोर से पकड़ लिया
और हमने बिना पल गवाएं धीरे धीरे बाल्टी अपनी ओर खींच कर तुरंत हाथ से पकड़ा ये सोचकर कि कहीं ये अपनी पकड़ ढीली न कर दे। उसे ऊपर ला कर अपने से चिपका लिया कुछ पल में ही उसकी तेज धड़कनों ने काबू पा लिया और वो दौड़ कर जहां खाना - दूध रखते है वहां जाकर अपनी भूख शांत करने लगा। उसको देखकर हमें उतनी ही शांति मिली जितनी की अपने बच्चे को देखकर मिलती है। परंतु सबसे अधिक खुशी तो उसकी बुद्धिमानी देखकर हुई की मेरा छोटू कितना अक्लमंद है।
My lovely Tikku |
And one day Tikku ended his life by suddenly falling down while playing on the terrace.
गुरुवार, 25 अगस्त 2022
अकुई हार्ट अटैक की शिकार
नन्हीं सी जान अकुई |
आकुई तीन महीने की हो चुकी है, अब वह भी छोटे बच्चों की तरह तांक - झांक कर दुनिया देखना चाहती है इसी लिए कभी इस दीवार पर तो कभी उस दीवार पर कभी दूसरी छत पर चढ़ती रहती है । किन्तु जब वह मुख्य रोड वाली दीवार पर चढ़ी और नीचे झांका तो उसकी आत्मा कांप गई। छह तल्ले नीचे वो भी पहले की बनी इमारत जिसका एक तल्ला दो तल्ले के बराबर है। आज अकुइ बहुत ही खुश होकर खेल रही थी क्योंकि रोज छत पर आने से उसका डर निकलने लगा था। वैसे भी जितनी देर हम लोग छत पर रहते वो स्वयं को बहुत ही सुरक्षित महसूस करती। उसकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हम अपने पालतू चार पैरों वाले सदस्यों ( भोली - दृष्टा ) को ऊपर नहीं लाते। जब अक़ुई - मकुुई एक घंटे खेल लेते तब उन्हें वहां से हटा कर छत पर बने स्टोर में रख देते और भोली - दृष्टा को बुला लेते। आज भोली ने न जाने कैसे कमरे का दरवाजा खोल लिया और दोनों मां - बेटी राजधानी की तरह छत पर दौड़ते हुए आ पहुंची और आते ही अकुईं की तरफ धावा बोल दिया । आकुइ जो अपनी मस्ती में खेल रही थी पहले तो एक दम सहम गई फिर वो ठहरी शेरकी मौसी उसने अपने को गुस्से से फुला कर दुगुना कर लिया और खे खे कर दोनों को पीछे धकेल खुद सड़क की तरफ वाली दीवार पर चढ़ गई । परन्तु भोली - दृष्टा ने भी कसम खा ली थी उसे डराने की अतः वे उसकी तरफ बढ़ने लगी। अकुई भागने का रास्ता न पाकर हमारी बिल्डिंग से सटी दूसरी बिल्डिंग की तरफ जाने को जैसे ही उद्धत हुई कि उसे समझ आ गया कि वो दूसरी बिल्डिंग की तरफ जा ही नहीं सकती क्योंकि दोनों बिल्डिंगों के बीच में काफी अंतर था। अब उसकी स्थिति एक तरफ कुआं और एक तरफ खाई वाली थी तब तक हम पहुंच गए और भोली - दृष्टा को डराकर हटाते हुए अकुई को गोद में उठा लिया और उठाकर जहां पानी की टंकी रखी थी वहां छोड़ दिया। लेकिन ये क्या अकुई तो गिर पड़ी और बहुत ही बुरी तरीके की आवाज निकालने लगी। उसका बदन भी अकड़ने लगा। उसकी हालत देख हमे पल भर के लिए लगा कि इस नन्ही सी जान को हार्ट अटैक पड़ा है साथ ही एक पुरानी बिल्ली की याद आ गई जिसकी मरते समय ऐसी ही हालत थी। हमने उसके साथ बात करना और उसे प्यार से सहलाना आरंभ कर दिया। इधर भोली - दृष्टा भी घबडा गए और उसी के पास आकर उसे सूंघने लगे। भोली - दृष्टा को देखकर हमे लगा कि इनकी उपस्थिति से अकुई की बची हुई सांसे भी निकल जाएगी अतः हमने उन्हें कस कर डांटा और वहां से भगा दिया। चार - पांच मिनट के प्रयास के बाद वो थोड़ी सामान्य हुई। उसे गोद में उठा कर दुलराते हुए ये अहसास कराया की वो सुरक्षित है तब जाकर उसकी सांस में सांस आई। किन्तु उस पूरे दिन के लिए वो सामान्य रूप में खेल नहीं पाई । सहमी सी डरी सी मेरे इर्द - गिर्द ही घूमती रही।