पहली बार हमने किसी बिल्ली को किश्तों में बच्चे देते देखा ...
कब्बू |
सीधी सादी, सबसे डर के रहने वाली नन्ही सी कब्बू अचानक पेट फूला कर घूमने लगी तब हमें लगा कि ये तो बड़ी हो गई। अब हमारे सामने समस्या उसके बच्चे सुरक्षित जगह पर करवाने की थी। क्योंकि ये तो ठहरी बिल्ली की जात, कहां अपने लिए प्रसव स्थल बना लेगी कुछ ठीक नहीं। इधर - उधर घूमने वाली बिल्ली उसे हम बांध कर तो रख नहीं सकते थे फिर भी कोशिश रहती कि उस पर हम नजर रखे। लेकिन कब्बू तो समझदार बच्ची ठहरी, अपना अच्छा - बुरा बखूबी जानती थी अतः जब उसे महसूस हुआ कि प्रसव पीड़ा से गुजरने वाली है तो सबसे पहले उसने खाना छोड़ा। ये देखकर हमने प्रिंटर के बड़े से डब्बे में दो चद्दर बिछा कर उसके लिए नरम बिस्तर बना कर उसे सुला दिया। कब्बू भी अपना नया घर पाकर खुश हो गई।
एलियन शक्ल का बच्चा |
दो दिन बाद 9 फ़रवरी 2020 को उसने लगभग 9 बजे एक एलियन से दिखने वाले बच्चे को जन्म दिया। वो बच्चा मरा पैदा हुआ था। शरीर में कोई हरकत नहीं थी। कब्बू ने उसे दो - चार बार चाटा जैसे ही उसे समझ आया कि बच्चा मरा है उसने उससे दूरी बनाई और खुद को साफ करने लगी। बिल्लिया स्वभाव से सफाई पसंद होती है और अनुशासित भी। वो जबरदस्ती दूसरी बिल्लियों से झगड़ा नहीं करती। स्वयं को साफ करने के बाद वो मेरे पास आकर चिपक कर बैठ गई। ये देखकर हमे बड़ा आश्चर्य हुआ । हमने उठ कर सबसे पहले उस मृत बच्चे को हटाया। कब्बू ने हमें शांति से देखा और निढ़ाल सी पड़ गई। उसकी स्थिति देखकर हमें उस पर बहुत तरस आया। हमने उसे दूध हलका गरम कर के दिया जो उसने थोड़ा सा पिया और फिर सो गई। दूसरे दिन भी उसने कुछ नहीं खाया। जानवर अपने शरीर की जरूरतों और उसके उपचार के बारे में भली प्रकार से जानते है अतः उन्हें कितना भी चिकीन, मटन, मिठाई, दूध दे दो वो उतना ही खाएंगे जितनी उन्हें जरूरत है। हम इंसानों की तरह वे कल के लिए नहीं सोचते शायद उन्हें ईश्वर के ऊपर अथाह भरोसा है। उसके पेट को छूने से समझ आ रहा था कि अभी इसके और बच्चे है लेकिन हमें आश्चर्य हो रहा था कि अगर बच्चे है तो वो जनम क्यों नहीं ले रहे। तीन दिन बाद 12 फ़रवरी को सुबह से ही वो बार - बार आकर मेरी गोद में बैठ जाती और कातर स्वर में रोती। रात्रि 7बजे उसने फिर से एक बच्चे को जन्म दिया, उसके 15 मिनट बाद दूसरे को जो की मृत पैदा हुआ। फिर तीसरा और चौथा। इस तरह अत्यंत वेदना सह कर वह तीन बच्चों की मां बन गई। अब उसकी ये स्थिति थी कि अगर हम बच्चे को ले लेते तो वो तुरंत व्यथित सुर निकालती जैसे कह रही हो कि मेरे नन्हे को तंग मत करो। जैसे ही हम उसे उसके पास रखते वो उसे चाट - चाट कर अपनी सारी ममता उड़ेल देती। उसकी ये हालत देख कर हमे उस पर बड़ी दया आती और ऊपरवाले द्वारा मां के रूप में नन्हे जीवों को दिए हुए इस करिश्माई उपहार पर विस्मय होता कि उसने क्या इंसान क्या जानवर सभी को ममत्व का अनमोल गुण दिया है। सच में मां, मां ही होती है।
प्रसव पीड़ा से व्यथित कब्बू |
माँ बनने का सुकून |
शैतान बच्चा |
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