गुरुवार, 7 जून 2018

KUFFU, 'I am SO SWEET': तुम्हे भूल नहीं पाएंगे कुफ्फु

KUFFU, 'I am SO SWEET': तुम्हे भूल नहीं पाएंगे कुफ्फु:  बहुत याद आती हो कुफ्फु  चेरापुंजी के जलप्रपात  नोहकलिकाई में  कुल्फी और शकुन त्रिवेदी  आज सुबह हमे ताजा चेनल  के सागर मंथन में भ...

तुम्हे भूल नहीं पाएंगे कुफ्फु

 बहुत याद आती हो कुफ्फु 

चेरापुंजी के जलप्रपात  नोहकलिकाई में  कुल्फी और शकुन त्रिवेदी 


आज सुबह हमे ताजा चेनल  के सागर मंथन में भाग लेने जाना था ,उसके बाद हमे अपनी मित्र के साथ अक्षरधाम मंदिर (जोखा) पहुचना  था ,जहा से वापस आते-आते रात्रि का नौ बज जाता। जाते समय हम जल्दी में थे कुल्फी जोर -जोर से हाफ रही थी और मेरी तरफ देख रही थी। ये देखकर मेरा मन खिन्न हो गया , हमने मन ही मन सोचा की वापस आ कर इसे खूब प्यार करेगे ,इसकी तबियत ठीक नही है और हम इसे समय दे नही पा रहे है। ताजा चेनल से निकलते ही हमने अपनी मित्र को फोन किया और कहा कि  आज हम जा नही पायेगे।   3.30 पर वापस घर आये तो वो हमको फिर दरवाजे पर मिली। हमने अपना बैग टेबल पर रखा और कुल्फी के पास जमीन पर बैठ गए उसे सहलाया,पुचकारा । प्यार करते समय हमने उससे कहा कि "कुल्फी कल हम तुमको नहलायेगे।" हम उसको रविवार को नहलाया करते थे जिसकी वजह से रविवार को सुबह हम कही जाते नही थे । जब भी उसको नहलाते वो बहुत खुश होती क्योंकी इस दौरान हम उसको बहुत प्यार करते थे और वो एक आज्ञाकारी बच्चें की तरह नहाते समय सारी बातें मानती। उससे बात करने के बाद हमने खाना खाया और सो गये। लगभग पांच बजे मेरा बड़ा बेटा भागता हुआ आया और बोला "मम्मी देखों कुल्फी को क्या हुआ है?  हमने जाकर देखा , वो सर उठाकर हाफ रही थी । उसके सर को हाथों में लेकर हम सहलाने लगे तो वो निढाल हो गयी , उसकी ये स्थिति देखते ही मेरे मुंह से निकला -" ये तो गयी।" तुरंत गंगा जल मगवाया उसके मुंह में डाला कुछ मुंह के अन्दर गया कुछ बाहर आया और उसने हाथों में ही दम  तोड़ दिया।  इसे संयोंग कहे या विडम्बना कि    26 मार्च 2005 में  शनिवार  के दिन  मेरी बेटी शुभ्रा पांच बजकर तीस मिनट पर ( 5.30 )  कुल्फी को  अपने जन्म दिन के तोहफे (उसके दादा जी ने दिया था)  के रूप में लायी थी  । उस दिन पाँच बजकर तीस मिनट पर वो घर के अन्दर आयी थी सारा घर उसे लेकर खुश था और आज शनिवार के दिन ठीक पांच बजकर तीस मिनट पर वो हम सबको छोड़ कर चली गयी।  उसकी आँखे सांसे सब बंद हो गयी किन्तु स्मृति कोष के पन्ने पलट गयी। वो एक महीने की नन्ही सी जान अपनी माँ से दूर होने के कारण रात में कूं कूं कर रोती तो उसका रोना सुन हम उसे बिस्तर में अपने पास सुला लेते । धीरे -धीरे उसकी आदत हम दोनों पति-पत्नी के बीच में सोने की हो गयी। जब कभी कोई बिस्तर पर सुलाने को लेकर टोकता तो हम कहते ये मेरा चौथा बच्चा है। जिसे सुनकर अक्सर मेरी ननदें कहती शकुन तुम्हारे इस चौथे बच्चे की हम बुआ नही है । कालांतर में रिश्तेदारों ने भी उसे हमारे परिवार का हिस्सा मान लिया। 



गाड़ी  के अंदर से ही हम लोगो का इंतजार करती कुल्फी 

पुरी के समुद्र तट पर  लहरों  का आनंद उठाती  कुल्फी

ब्रह्मपुत्र  नदी के किनारे बने भुवनेश्वरी मंदिर  के प्रांगण   में 
बैठ कर प्रकृति का आनंद  उठाती कुल्फी  
यादों के परत दर  परत  खुल रहे थे लेकिन अब बारी थी उसके क्रियाकर्म की । उसे सड़क पर नगरनिगम के भरोसे डाल नही सकते थे और कोई जगह थी नही जहाँ उसे दफनाते अतः उसके डाक्टर से बात की जिसने बताया की कुत्ते और बिल्लियों के लिए भी खिद्दीरपुर के पास गंगा के किनारे  शव गाह है । डाक्टर ने साथ ही अपने कर्मचारी को भेजा जो मेरे बेटों के साथ शवगाह गया और वहां मौजूद लोगो ने उसे दफनाया।  उसकी मृत्यु के दौरान देखा कि भोली जो हर समय उसे परेशान करती थी उसकी वजह से हम उसे घर से निकलने के पहले अपने बेड रूम में बंद करके जाते ताकि भोली मेरी गैर मौजूदगी में उसे तंग ना करे आज वही भोली (लेब्रा) पागलों की तरह उसके पास बार -बार आ रही है उसकों चाटने की कोशिश कर रही है जबकि हम लोग उसे हटा रहे थे। जब कुल्फी मर गयी तो उसके शव के पास आकर उसे चाटना आरंभ कर दी। हमने उसे अपने पास बुलाया उसे समझाया कि कुल्फी मर गयी है। जैसे ही उसे दफ़नाने के लिए घर से  ले जाया गया भोली छट पटा ने लगी , इन लोगो के गेट से बाहर निकलते ही उसने रोना शुरू कर दिया । ये मेरे लिए एक अलग ही अनुभव था उसे अपने पास लाकर खूब प्यार किया ,खाना दिया लेकिन उसने खाया नही वरन वो और हमारी बिल्लियाँ एक लाइन से सीढियों पर बैठ कर मेरे बेटों का इंतजार  कर रही थी कि शायद ये लोग कुल्फी को वापस  लेकर आ जायेंगे। उन्हें खाली हाथ आया देख बिल्लियाँ सीढियों से उठकर इधर उधर चली गयी। अक्सर सुनते थे कि जानवरों के भावनाएं नही होती लेकिन जानवरों की  भावनाएं स्वार्थ रहित ,प्यार में पगी हुयी होती है जो की हम इंसानों के पास नही होती।


राजधानी में यात्रा के दौरान कुल्फी 

कुल्फी और   किट्टा ( बिल्ली ) 

केक काटने की तैयारी में कुल्फी रानी